Thursday, 4 August 2011

नसीब भी उस का कुछ अजीब था .....

खोने और पाने का खेल तो देखो.....
उस  ने वो खोया जो सिर्फ उस का ही था .
और मैंने वो खोया जो मेरा कभी हो न सका

उस ने कहा था खुश रहा करो ......
अपने एक वादे पर अटल मैं हसता ही रहा 
और वो  मुझे आज खुश देख कर भी खुश हो न सका 

इतना तो यकी मुझे भी था अपनी मोहब्बत पर
कहते थे नज़रे घुमा....चले जायेंगे एक दिन बहुत दूर तुम से 
रास्ते में एक बार मिला तो मुह अपना  मोड़ न सका 


नसीब भी उस का कुछ अजीब था .....
गया था जो बड़े गुरुर के साथ मुझ से दूर 
लौटा तो नज़रे मिला के कुछ बोल न सका 

2 comments:

  1. वाह जनाब बहुत ही अच्छा लिखा है ।

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  2. खोने और पाने का खेल तो देखो.....
    उस ने वो खोया जो सिर्फ उस का ही था .
    और मैंने वो खोया जो मेरा कभी हो न सका

    Inhi panktiyon ne dil ko choo liya...

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