क्या यकीं करू मैं तेरी दुआओं के असर पर
होता अगर असर तो तू दुआ ही क्यों करती
जिन्दगी तो कुछ होती ही है सफ़र की तरह
कभी झरने से बहती है .कभी शिखर पर चढ़ती है
ख्वाबो की नजाकत को भी तू देख
ये बद्दुआओ से भी ये बिखरते है
ये तेरा भरम भी मुझे बहुत मजबूत सा करता है
डरता हु तू टूट न जाये कही आंसू मेरे देख कर
तू लाख रख यकी अपनी दुआओं पर
पर भूल मत के फैसले कब दुआए करती है
पर भूल मत के फैसले कब दुआए करती है
ReplyDeleteBahut Sahi ...