Wednesday, 29 June 2011

काग तंत्र .....

दोस्तों अब कुछ दिन के लिए मैं एक कथा संग्रह लिखने की कोशिश करना चाहता हु जिस का शीर्षक होगा काग तंत्र .........

आप सभी के लिया आज पहला भाग
चालाक लोमड़ी

एक जंगल था ..जहा बहुत साल पहले बहुत से जानवर सुख पूर्वक रहते थे .....वहा की खुशहाली देख कर बाकि सारे जंगल की जानवरों को उस जंगल से ईष्या होती थी ..... जंगल में कुछ कुटिल चालक लोमड़िया रहती थी .. जंगल के सारे भोले भाले जानवरों को अपने जंगल प्रेम में फसा कर लोमडियो ने सारे जंगल पर राज करना शुरू कर दिया ...लोमड़िया चालाक और कुटिल थी तो धीरे धीरे और पास के जंगल से भी लोमडियो को ला कर बसाने लगी ......... लेकिन जंगल के भोले भाले जानवर उन की चालाकी समझ नहीं पाते ...

जंगल में कुछ समझदार जानवर भी रहते थे जो धीरे धीरे लोमडियो की चालाकी समझने लगे ....वक्त गुजरता गया और जंगल में एक बब्बर शेर आया ....... शेर अपने स्वाभाव गत राजा तो था ही लेकिन उस को जंगल के सारे जानवरों से प्यार भी था और वो जंगल के जनवारो की दुर्दशा समझने लगा ..... लेकिन चालक लोमडियो द्वारा जंगल के सारे भोले भले जानवरों को बहला कर अपने पास ही रखने लगी ...... समय गुजरता गया और शेर अपने जंगल के जानवरों के लिए व्यथित होने लगा और लोमडियो की चालाकी सारे भोले भाले जानवरों को समझाने निकल पड़ा .......और धीरे धीरे अब जंगल के जानवरों को भी शेर की बात समझ आने लगी की कैसी लोमड़ी अपना राज चलाने के लिए उन पर अन्याय करते हुए अपनी संख्या बड़ा रही है.

इस बीच शेर के जंगल में बदते प्रभाव और उस के स्वाभाविक गुण से लोमडियो को चिंता भी होने लगी ........ और कुछ लोमडियो ने मिल कर एक रणनीति बनाई ......

एक दुसरे जंगल से एक बड़े कद काठी के सियार को बुलाया गया और उसे शेर की खाल पहना कर शेर का रंग रूप दे कर जंगल में छोड़ दिया .......... वो बनाया गया शेर का नाम रखा बन्ना शेर ....अब बन्ना शेर भी पुरे जंगल में घुमने लगा और बब्बर शेर की राग में ही जंगल के हित की बाते और लोमडियो की कुछ चालाकियो की बाते करने लगा ........... जंगल के भोले भाले जानवर उस की बातो में भी आने लगे .......चुकी वो बन्ना शेर लोमडियो से तो मिला हुआ ही था तो जब भी बन्ना शेर लोमोडियो को डराता सारी लोमड़िया डरने का नाटक करती .....और फिर एक दिन बन्ना शेर जंगल के सारे भोले भाले जानवरों के हित की बात कर लोमडियो को दौड़ाने लगा और लोमडिया डर डर कर भागने का नाटक करती या फिर उस की सारे बाते मान लेने की बाते करती ......... इस से हुआ ये की बन्ना शेर ही जंगल के भोले भाले लोगो को असली शेर लगने लगा और बब्बर शेर को लोग किसी काम का नहीं समझ कर ........... बन्ना शेर के साथ होने लगे ...

धीरे धीरे बन्ना शेर जंगल के सारे समझदार बुजुर्ग जानवरों के खिलाप भी भोले भाले जानवरों को भड़काने लगा और जानवर भी उन के साथ साथ वही सोचने लगे ..........जंगल के भोले भाले जानवर अब अपने उपर हुए अत्याचारों को भूल कर बन्ना शेर को ही अपना आदर्श मानने लगे ......... और बन्ना शेर धीरे धीरे जगल के जिन समझदार जानवरों से डर था उन को भी ख़त्म करने की कोशिश करने लगा और बीच बीच में लोमडियो को भी डरता रहता ....

लेकिन लोमडियो का सब से बड़ा दुश्मन बब्बर शेर ......लेकिन सारी लोमडिया मिल कर भी एक बब्बर शेर का मुकाबला कर नहीं सकती थी .....तो लोमडियो ने उस पर धीरे धीरे हमला करना शुरू कर दिया ......... जो कोई समझदार जानवर बब्बर शेर की बाते सुनता या साथ देता उसे जंगल से बाहर निकलने की बाते करते और ये प्रचार करते की ये किसी और जंगल का जानवर है और जबरदस्ती हमारे जंगल में घुस आया है ... और लोमडिया अपने अन्य साथियों को बुला बुला के अपने जंगल में बसाने लगी .... वक्त गुजरता गया और जंगल के भोले भाले जानवर बब्बर शेर की बात बिना समझे बन्ना शेर के साथ रहते और वो जिस को गलत कहता आँख बंद कर के मान लेते .......

अब बन्ना शेर जंगल में अपनी पैठ बना चूका और अब खुल कर बब्बर शेर को ही ललकारने लगा और जब बब्बर शेर दह्ड़ता तो बन्ना शेर लोमडिया के पीछे दौड़ने लग जाता . और लोमड़िया डर कर भागने ..... तो जगल के जानवर धीरे धीरे बब्बर शेर के खिलाप होने लगे .....वक्त बिता तो बन्ना शेर ने जंगल में सारे जंगल के लोगो से चुनाव करने की बात रखी...और जंगल के सारे जानवरों की सहमती से कानून बनाने और राज करने के लिए राजा के चुनाव की बात रखी ........और जंगल के जानवरों को ये बात बहुत पसंद आई और उन्होंने बन्ना शेर को भगवान मान लिया .......

चुनाव आया और बन्ना शेर अब सारे जानवरों को धीरे धीरे ये बात समझाने लगा की राजा तो मुझे बनना नहीं है लेकिन मैं इस जंगल में आप के हित और सुरक्षा का ध्यान रखूँगा और मुझे लगता है की लोमडिया हमसे डरती ही और हमारी सारी बाते मानती है तो आप सभी इन लोमडियो को ही राज करने के लिए सहमती दे दे..........और भोली भली जनता उस नकली बन्ना शेर की बातो में आ कर एक बार फिर लोमडियो को ही जीता कर राज करने देती गई . अब लोमडियो ने जंगल में अपने मन के सारे कानून बना लिया जिस से की कभी भी कोई जानवर या बब्बर शेर सर न उठा सके .......

एक बार फिर जंगल में लोमडियो का राज आ गया ...... बन्ना शेर को कुछ दिनों के लिए वापस भेज कर कुछ दिन बाद लोमड़ी के असली भेष में बुला कर ईनाम दे दिया गया और जंगल में सारी सुविधाए .....और उन की संख्या भी बहुत बढ़ गई ...........अब जंगल के जानवर बेबस दुखी फिर से सारे अत्याचार सहने लगे ........ बाबर शेर दुखी लेकिन फिर भी .............. क्रमशः अगले भाग में ....

1 comment:

  1. हा हा हा कहा की बात कहा वाह रे भाई मुकरू मजा आ गया

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