Thursday 1 March 2012




देख रहा हु इन दिनों मेरे ख्वाब में वो आ नहीं आ रही है


आज भी नहीं आई अगर तो सोचता हु कल से ......
उस के घर सामने पहरेदार बिठा दू ....
आखिर जाती कहा है मेरे ख्वाबो में आना छोड़ कर .....


एक खवाब ही उम्मीद है उन से मिल पाने की ..खिलखिलाने की ......
आखिरी वो उम्मीद भी जाने दू कैसे ??

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