सुबह उठा आज मैं
तो जाने क्यों मेरे बदन से
एक खुशबु सी उठी
सोचा रात का मंजर
उस का नींद के साथ
चुपके से मेरी आँखों में समाना
वो हसीन पल
जिस के कभी हम ने ख्वाब देखे थे
आज उस ख्वाब का ख्वाब में ही
हकीकत बन जाना
आज ही जान पाया हु मैं
सुबह इतनी भी खुबसूरत होती है
महक रहा है मेरा तन - मन अभी भी ..............
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