Sunday, 7 August 2011

सुबह उठा आज मैं 
तो जाने क्यों मेरे बदन से 
एक खुशबु सी उठी
सोचा रात का मंजर
उस का नींद के साथ 
चुपके से मेरी आँखों में समाना
वो हसीन पल 
जिस के कभी हम ने ख्वाब देखे थे
आज उस ख्वाब का ख्वाब में ही
हकीकत बन जाना 
आज ही जान पाया हु मैं 
सुबह इतनी भी खुबसूरत होती है 
महक रहा है मेरा तन - मन अभी भी ..............

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