Wednesday 15 June 2011

ख्वाहिसे ...



ये आंखे भी जाने क्या क्या बलाए  रखती है 
उस शख्स को जो कभी मेरा हो न सका ...बसाये रखती है ..

ख्वाहिस तो मेरी भी है कभी पुकारू उसे जोर से 
पर एक नाज़ुक सी कसम दिल में डर बनाये रखती है ..

एक उम्र गुजर गई न कुंदन बना.... न राख हुआ ..
ख्वाहिस  मेरे दिल में फिर भी आग जलाये रखती है..

2 comments:

  1. ये आंखे भी जाने क्या क्या बलाए रखती है
    उस शख्स को जो कभी मेरा हो न सका ...बसाये रखती है ..

    Kya baat hai sor aap to lag raha hai meri hi kahani kah rahe hon ..

    ReplyDelete
  2. एक उम्र गुजर गई न कुंदन बना.... न राख हुआ ..
    ख्वाहिस मेरे दिल में फिर भी आग जलाये रखती है..

    Sach me kuch nahi kar sakta
    na bhul sakta hu na use jor se yaad kar sakta hu
    uske badnaam hone ka dar jo laga rahta hai..

    ReplyDelete