Monday 6 June 2011

पप्पू पार्षद की बकबक


सुबह उठा तो घर पर फरमान जारी हुआ सब्ज़ी  वाला आ नहीं रहा है तो अगर आज भोजन सिर्फ दाल के साथ करना हो पेपर पढ़े  नहीं तो बाज़ार जा कर सब्ज़ी ले आओ ...... झोला उठाया और निकल पड़ा..रास्ते में हमारे पप्पू  पार्षद काग रेसी मिल गए ....सफ़ेद कुरता पैजामा मानो  बस अभी  दिल्ली जा रहे हो केन्द्रीय मंत्री की शपथ  लेने ....... 

खैर मैंने औपचारिकता  वश  पूछ  लिया  और पप्पू भैया क्या हाल  है ...बोले मजे में ... दिख नहीं रहे हो  .. क्या करे गुप्ता जी आज कल जन सेवा से समय कहा है ... मैंने पूछा वार्ड में तो दीखते नहीं .. कहने लगे अरे नहीं जी बस दुसरे वार्ड में नालिय बनवा रहे है ...छोटे भाई के नाम से ठेका लिया है बस उस में ही लगे है......मन में मैंने सोचा अच्छी जनसेवा है ये ...सेवा का सेवा और मेवा का तो पुच्छो नहीं ... 

सवाद बढता गया ...बात बदने के लिए मैं कह दिया मौसम बड़ा अच्छा है ...कहने लगे काग रेस का राज है ...
मैंने कहा बिजली गिर गई कल बगल वाले के घर पर  .....कहने लगे पक्का विरोधी का हाथ है...

मैं मौन उन की निष्ठा देखता रहा ......सोचा इन को तो समझा नहीं सकता ..कम से कम अपने भोजन का स्वाद ही बड़ा लू ...और निकल गया सब्ज़ी लेने बाज़ार ...

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