गुजार कर उस के साथ एक सुहानी सी शाम
कुछ न कह सका तो एक कोरा कागज़ छोड़ आया
कोशिश उस की थी बात हो पूरी मेरी
मैं एक सवाल नया छोड़ आया
मुमकिन है की खबर हो उस को भी बैचनी का सबब
जो एक बात जुबा पर लाते लाते रुका और छोड़ आया
देख सके आईना तसल्ली से वो बेठ कर
शब्दों को मौन रखा और ख़ामोशी छोड़ आया
मकसद मेरा भी है की सिलसिला यु ही चलता रहे
रूह को अपनी बहुत करीब उस के छोड़ आया
अच्छा लिखा है लिखते रहिये धार तेज होती जायेगी
ReplyDeleteLoot liya Bhai....
ReplyDeleteWah
ReplyDeleteरूह को अपनी बहुत करीब उस के छोड़ आया