लक्ष्मी बाई नहीं लोगी क्या अब फिर से अवतार तुम .....
छल किया था जिस ने ग्वालियर में ..
सिंधिया जैसे गद्दारों से नहीं लोगी क्या बदला हर बार तुम
खटकते थे जो अंग्रेज तुम्हारी आँखों में
बदल कर भेष बहु का ..जा पहुचे दिल्ली के सिहासन में
कैसे अब कर लोगी स्वीकार तुम
शिव बिना शक्ति के शव है बात तुम्हे भी तो ज्ञात है
कर के शिव संकल्प कुछ संतो ने छेड़ा एक अभियान है
उन की इस क्रांति में क्या अब नहीं डालोगी प्राण तुम .
हो रहा है आक्रमण देश - संस्कृति - धर्म पर खुल कर
ले रूप धरा धेनु का फिर कर रही पुकार है
क्या सह लोगी पीड़ा माँ भारती की इस बार तुम
जो न ले पाओ अवतार तो बन जाओ एक बयार तुम
दीप जला है ...उठा कर लपटे ..कर तो दुश्मनों का दाह संस्कार तुम ..
लक्ष्मी बाई हो सके तो फिर से ले लो अवतार तुम ..
achchi rachna.badhai.
ReplyDeletemain aap ki bhawnaao ka aur samman karta hoon aur aap ki peeda ka ehsaas karte huye aap ka samarthan karte huye hosala afjaayi karta hoon.................main aap ke vichaaro se sahmat hoon......
ReplyDeleteलगता है इस कांग्रेस को जड़ से उखाड़ने के लिये किसी दुर्गा रूप नारी से ही आशा करनी चाहिये सुंदर कविता बधाई
ReplyDeleteसुंदर भावाभिव्यक्ित
ReplyDeleteसुंदरम् ........
ReplyDeletesundar kavita
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