Wednesday 28 September 2011






एक अरसा हुआ खुद को हसते हुए देखे 
चलो आज बचपन के कुछ खेल खेले हम 

जमाना बदल गया पर दस्तूर अब भी वही तो पुराना है
चलो आज किसी से रूठे .और किसी रूठे हुए को मना ले हम 

कुरेद के दिल के जख्मो को अब जान लो कुछ न होगा
आओ कुछ खेल खेले बचपन के  और जख्मो को सी ले हम 

टूटे खिलौना कोई और बच्चे का मचल कर रोना
चलो आज दिल के कुछ दाग यु ही धो ले हम

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