Friday 22 July 2011

अब मेरी अपनी एक दुनिया है ..........

कितना आसान था 
माँ की गोद में सर रख 
आसमान की बाते करना

कितना आसान था 
पापा के संग बैठ कर
दुनिया के सैर की बाते करना

कितना आसान था 
बहन की नन्ही झोली में
चुन चुन कर फूलो को भरना

कितना आसान था 
भैया के संग दौड़ लगा कर
चाँद  तारो तक पहुच जाना 

पर अब आसान कुछ भी नहीं 
न जिन्दगी... न घर... न रिश्ते... 

टटोलती है माँ मेरी बुझती आँखों से  आकाश 
पापा मेरे सहारे चार कदम चलते है
बहन को राखी पर ही भेज पाता हु मनी आर्डर 
अब दौड़ कर भी तय नहीं कर पाता फासला भैया के घर तक ...

अब मेरी अपनी एक दुनिया है ..........

Saturday 9 July 2011

बिखरे से ख्वाब ..

जब कभी मैंने कही कुछ टूटे बिखरे से ख्वाब देखे 
ऐ जिन्दगी वही तेरे कदमो के निशा देखे 

समेट कर ख्वाबो को  सारे एक बच्चे की मानिंद 
जोड़ कर देखा तो बस खुद को मुस्कुराता पाया

जिन्दगी तू गर एक पहेली थी तो कोई तो तेरा हल भी होता
जब कभी सुलझाने बेठा तो खुद को और उलझता पाया 

माना  की नहीं रोक सकता गुजरते वक्त के कारवा 
कल को सवारने की कोशिश में आज को बिखरता पाया 

लोग कहते है मुझे तू निकल के यादो से बाहर भविष्य सवार ले 
क्या कहू दोस्त मैंने तो अपने माझी में ही  खुद को दफ़न पाया 

रोक न सका  उसे जाते हुए लम्हों की तरह 
डूबती हुई उस आवाज़ से खुद को भी डूबता  पाया

माना के बहुत खुबसूरत होती जिन्दगी साथ तेरे 
मुद्दतो बाद भी लेकिन तुझ को खुद में धड़कता पाया 

बदल कर रास्ता जिन्दगी का जब भी बढाया एक कदम 
क्यों होता है .हर बार सामने से मेरे उस का गुजर जाना 

मौत को मालूम है जिन्दगी की है यही फिदरत 
क्यों कर आती गर आसा होता यु सब कुछ बदल जाना 

 मेरे माझी ने मुझे  दिया है इतना तो अहसास 
शैलेश को तनहा तो किया ...हर बार उसे मुस्कुराता पाया 

Thursday 7 July 2011

आओ कुछ दूर साथ चले...

आओ कुछ दूर साथ चले
कुछ कदम विचारो के 
कुछ कदम मन के
और एक कदम उस राह पर भी
जो गुजरती  हो दोनों के दिलो से हो कर

आओ मिल कर बाते करे हम दोनों
कुछ दिल की बाते 
कुछ प्यार की बाते
कुछ बाते ऐसी जिस के शब्द छलकते हो आँखों से 

छलकती आँखों से नम पड़ जाये शायद कुछ जमीन
और उभर आये निशान  मेरे दिल में तुम्हारे कदमो के
तुम्हारे दिल में मेरे कदमो  के ........